“ प्राथमिकता स्वास्थ्य सेवा को बेहतर करने की हो न कि बांध निर्माण ”

चिंकी-बोरास,सांवेर उदवहन सिंचाई और अपर नर्मदा बांध परियोजना को मिली मंजूरी, विरोध में तेज हुए स्वर

भोपाल । वित्तीय संकट से जूझ रही मध्यप्रदेश सरकार ने 10 हजार 369 करोङ रूपये कि विभिन्न योजनाओं को तुरत फुरत मंजूरी दे दी। जिसे कई संगठनों और पर्यावरणविद् ने अतार्किक बताया।

8 जून को हुई, मंत्रीमंडल की बैठक में चिंकी-बोरास (5083 करोङ),सांवेर उदवहन सिंचाई (3046 करोङ) और अपर नर्मदा बांध (2240 करोङ) परियोजना को हरी झंडी मिली ।

  विस्थापितों के हक के लिए लड़े रहे आंदोलनकर्ताओं का कहना है कि प्रदेश में बदतर स्वास्थ्य सेवा, आक्सीजन, वेंटिलेटर, बेड, दवाई आदि नहीं मिलने से हजारों लोगों की मौत हो गई। क्या इस महामारी में सरकार को स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने की प्राथमिकता नहीं होना चाहिए?

राजकुमार सिन्हा, बरगी बांध विस्थापित संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता कहते है कि कोविड – 19 महामारी की परिस्थितियों के अनुसार स्वास्थ्य मे बजट प्रावधान ज्यादा बढ़ाने की जरूरत थी । सरकार ने नर्मद घाटी की दस परियोजनाओ  के लिए पावर फाइनेंस कार्पोरेशन, दिल्ली से 26 मई 2020 को 22 हजार करोङ रूपये कर्ज लेने का अनुबंध किया था। इसमें से चिंकी-बोरास,सांवेर उदवहन सिंचाई और अपर नर्मदा बांध परियोजना को हाल ही में मंजूरी दी गई। हमारी सरकार कि मंशा लोगों को उचित स्वास्थ्य सेवाएँ देने कि नहीं हैं ।

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