मैटर, ऊर्जा और गणेश चतुर्थी पर बेबाक वक्ता, जुझारू पत्रकार, लेखक और एस्ट्रोफिजिक्स एक्सपर्ट शशिकांत त्रिवेदी का विशेष लेख

हिंदू सभ्यता, गणेश, प्राण-प्रतिष्ठा और प्रोटॉन आइंस्टाइन और न्यूटन जीवन भर ब्रम्हांड में मैटर कहाँ से आया और ग्रेविटी क्या है इसमें सर खपाते रहे।

गणपति बप्पा और रिद्धि सिद्धि मां की कृपा शब्द राइटर के सभी पाठकों पर सदा रहे

हिंदू सभ्यता, गणेश, प्राण-प्रतिष्ठा और प्रोटॉन

अगर हम प्रोटॉन की सटीक radius जान सकें और ये मालूम कर सकें कि वह कितने फोर्स के साथ एक दूसरे से जुड़े रहते हैं तो हम ब्रह्मांड के उस बल या क्वांटम ग्रेविटी को जान सकते हैं जो ब्रह्मांड के फैब्रिक पर दवाब डालता है। हांलाकि ये फेब्रिक आइंस्टाइन का वहम था। उनके पास प्लान्क लेंथ जैसा बढ़िया इक्वेशन भी था। मेरे विचार से ब्रह्मांड ग्रेविटी से नही बल्कि information से बना है।हिंदू सभ्यता बह्मांड की यही व्याख्या करती आ रही है।उदाहरण के लिये मुझे यह जानकारी है कि मेरे सभी बॉस में से में कौन कितना बड़ा वेतन चोर रहा है और वो लेबर डिपार्टमेंट को किस तरह पटा सकता है। ठीक इसी तरह चांद जिस मैटर से बना है वहां की entropy (फिजिक्स की एक ब्रांच) को ये information है कि पृथ्वी पर जीवन है, और पृथ्वी के पार्टिकल्स को ये information है कि चांद का मैटर सूर्य के साथ कुछ इस तरह ताल मिलाएगा कि माह में एक बार full moon जरूर होगा। CERN लैब में वैज्ञानिकों को गॉड पार्टिकल्स ढूंढने के बजाए इस बात पर ध्यान देना चाहिये कि ये जानना ज़रूरी नही है कि ब्रह्मांड में मैटर कहां से आया बल्कि ये जानना ज़रूरी है कि इसका डिस्ट्रीब्यूशन कैसे हुआ और इस मैटर को जीवन की सूचना कहाँ से आई। जहां इन्फॉर्मेशन होगी वहीं जीवन होगा। हिंदू ग्रन्थों में शरीर के मैल, मिट्टी से जीवित शरीर बनाने के उल्लेख हैं। मैटर से कुछ भी बन सकता है , गधा, कुत्ता, सुअर या बशर्ते उसमें जीवन और ब्रह्मांड की सूचनाएं डाली जा सकें।क्योंकि फिजिक्स क्वाण्टम हो या क्लासिकल इन्फॉर्मेशन नष्ट होते ही अस्तित्व समाप्त हो जाता है।यही कृष्ण ने अर्जुन को गीता में समझाया है कि आत्मज्ञान या ये इन्फॉर्मेशन कि शरीर या उसके मैटर को क्या करना है होना ज़रूरी है। इंफॉर्मेशन ही आत्मा है। इसीलिये मैं ब्लैक होल जैसी परिकल्पना में विश्वास नहीं रखता। क्योंकि इतनी ज्यादा ग्रेविटी में सब इन्फॉर्मेशन नष्ट हो जाएंगी। शरीर को भी हिंदू सभ्यता ने ब्रह्मांड माना है यह शुक्राणुओं औऱ अंडाणुओं के बजाय इन्फॉर्मेशन से ज़्यादा बना है। डी एन ए में ये सारी सूचनाएं होती हैं कि अमुक शरीर कितना बदमाश बनेगा और वह लेबर अधिकारी के शरीर से गलत सूचनाओं का आदान प्रदान कर नष्ट कैसे होगा। में CERN लैब के वैज्ञानिकों के सम्पर्क में हूँ और उन्हें बता रहा हूँ कि ब्रह्मांड में मैटर पांच तत्वों से बना है छै भी हो सकते हैं लेकिन हम जीवन के बारे में तब तक नहीं जान सकते जब तक इन्फॉर्मेशन के स्रोत को और उसके विज्ञान को न समझ लें। हिन्दू सभ्यता मिट्टी मैटर से मूर्ति बनाकर प्राणप्रतिष्ठा का इन्फॉर्मेशन देने और लेने की परंपरा पीढी दर पीढ़ी करती आ रही है।श्री गणेश की मूर्ति कैसे बनेगी और किस मैटर से बनेगी यह बात मायने नही रखती। इसीलिये पैसे लेकर प्राणप्रतिष्ठा करने वाला जल्दबाज पंडित इस प्रक्रिया को नही समझ सकता। वह ये भी नही जानता कि हिरण्यगर्भ ही वह ओरिजनल मैटर से जो आइंस्टाइन की सिंगुलैरिटी का आधार है।उसी में सब सूचनाएं समाहित हैं। सावित्री और गायत्री ऊर्जा के टकराने से हिग्स बोसान पार्टिकल्स रोज बनते हैं। उसे फालतू की 27 किमी लंबी सुरंग में बनाने की क्या ज़रूरत है। (केवल रिकॉर्ड के लिये)

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