माँ
शब्द ही कितना
प्यारा है
माँ के लिए लिखना
सबसे कठिन होता है
कितना भी लिखो
कम होता है
वो तो बस
मीठाअहसास है
सम्बेदना है भावना है
घर का आँगन होती है माँ
आँगन में आती ठंड की धूप है माँ
और गर्मी में आती ठंडी छांव है माँ
अहसास है वो सुखदाई हवा का
जो पल पल साथ साथ है
क्योकि जीवन सांस से है
माँ ही तो है जो जीवन भी
देती है और सांस भी
तुझी से होती
हर पल आस भी
खाने को बुलाती बार बार है माँ
पेट भरा हो तो कुछ भी बनाने को
हर पल रहती तैयार माँ
न जाने क्या जादू है जो
भरे पेट मे भी कितना और
खिला देती है माँ
गिनती तो आती है पर
गिनना नही जानती है
झूठ बोलना आता नही पर
झूढी बन जाती है माँ
खुश होती रोने पे वो
जब बच्चा पहली बार रोता
फिर कभी न रोये
हर पल करती यही दुआ
हर डगर हर पथ पर सहारा
होती है
सुख हो या दुख ,दूर हो पास
सबसे पहले याद
तू ही आती है माँ
जीवन के पथ पर सही सलाह
सिर्फ तुम्ही देती हो
बेटा हो बेटी सभी पर
प्यार लुटाती माँ
लाख जतन करती
जब आ जाती बच्चों पर
कोईविपत्ति,न तू कभी थकती
न हार मानती
सबकी प्यारी
सबकी दुलारी
तेरी क्या बिसात माँ
तेरी जगह क्या कोई लेगा
भगवान भी नही ले सकता माँ ………..
हेमा मिश्रा(विधु)